तरनतारन के कोर्ट में रात 2:45 तक बहस, सुबह 4:00 बजे फैसला

तरन तारन विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की प्रत्याशी सुखविंदर कौर रंधावा की बेटी और कवरिंग प्रत्याशी कंचनप्रीत कौर के लिए स्थानीय अदालत में शनिवार रात 2:45 बजे तक चली। इसके बाद अदालत ने सुबह 4:00 बजे उसकी रिहाई का फैसला सुनाया। जुडिशल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (जेएमआईसी) पंकज वर्मा ने 5 घंटे तक सुनवाई के बाद अपने फैसले में कंचनप्रीत की गिरफ्तारी को गलत माना और पुलिस को उसका रिमांड देने से मना करते हुए रिहा कर दिया। यह पंजाब के इतिहास में अपनी तरह का पहला मामला है। सुनवाई से पहले कंचनप्रीत को पुलिस की कस्टडी से मुक्त कर अदालत ने अपनी हिरासत में ले लिया था।

उपचुनाव में शिअद की प्रत्याशी रही सुखविंदर को रंधावा की बेटी कंचनप्रीत कौर रंधावा कवरिंग प्रत्याशी थी। उसके खिलाफ तरनतारन में तीन और मजीठा में एक केस दर्ज था। सभी मामलों में जिला अदालत ने अग्रिम जमानत दे दी थी। अदालत के आदेश पर शुक्रवार को वह अपने वकीलों के साथ मजीठा थाने पहुंची। जहां 6 घंटे की पूछताछ के बाद थाना झब्बाल की पुलिस ने नए केस में उसे गिरफ्तार कर लिया।

चुनाव प्रचार के दौरान मतदाताओं को धमकाने के आरोप में पुलिस ने कंचन प्रीत के पति अमृतपाल सिंह बाठ और एक अज्ञात व्यक्ति को जमानत योग्य धाराओं के तहत नामजद किया था। बाद में इसी एफआईआर में गैर जमानती धारा 111 लगाकर कंचन प्रीत कौर का नाम जोड़ते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया था। इस गिरफ्तारी को शिअद ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी। जिसके बाद जस्टिस राजेश भारद्वाज ने तरनतारन के जेएमआईसी को आदेश दिया कि इस मामले पर शनिवार रात 9:00 बजे ही सुनवाई करें।

पुलिस जांच में सामने आया कि कंचन प्रीत कौर गत 22 मार्च को नेपाल सीमा के रास्ते बिना किसी  वैध दस्तावेज के अवैध रूप से भारत में दाखिल हुई थी। हत्या, यूएपीए, एनडीपीएस और आर्म्स एक्ट जैसे 23 गंभीर मामलों में वांछित उसके पति अमृतपाल चंडीगढ़ से रीजनल पासपोर्ट ऑफिस से हरप्रीत सिंह नाम से पासपोर्ट बनवाया था। हरियाणा का शैक्षणिक प्रमाण पत्र और गुरुग्राम का पता भी गलत था। पूछताछ में कंचन प्रीत ने स्वीकार किया कि हरप्रीत और अमृतपाल एक ही है। जांच में सामने आया कि चुनाव के दौरान कंचन प्रीत अवैध रूप से भारत इसी मकसद से लौटी कि वह चुनावी गतिविधियों में शामिल रहे और उसका पति विदेश से मतदाताओं को धमकाएं। पुलिस का कहना है कि यह मामला सिर्फ फर्जी दस्तावेजों का नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध, अवैध यात्रा, पहचान छुपा कर चुनावी हस्तक्षेप और मतदाताओं को दहशत में रखने जैसी गंभीर साजिश का है।

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