(नई दिल्ली) नागालैंड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक प्राकृतिक पौधे से मिलने वाला खास पदार्थ सिनापिक एसिड खोजा है जो डायबिटीज के मरीजों के घाव जल्दी ठीक करने में मदद करता है। डायबिटीज के मरीजों को अक्सर ऐसे घाव होते हैं जो जल्दी नहीं भरते, खासकर पैर के। इन्हें डायबीटिक फुट अल्सर भी कहा जाता है। ऐसे घाव नसों को नुकसान पहुंचाते हैं, और खून सही तरह से नहीं पहुंच पाता, जिससे संक्रमण बढ़ने का खतरा रहता है। कई बार स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि पैर काटना पड़ता है। इस गंभीर समस्या का इलाज अभी तक सीमित और महंगा रहा है और दवाइयां के कुछ साइड इफेक्ट भी होते हैं।
नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में बताया गया है कि सिनापिक एसिड के सेवन पर यह डायबिटिक घावों को जल्दी ठीक करने में कारगर साबित हुआ है। सिनापिक एसिड एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट है जो कई तरह के खाद पौधों में पाया जाता है। यह शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि वह यह नुकसान पहुंचाने वाले फ्री रेडिकल्स से लड़ता है। यह खोज खास तौर पर उन मरीजों के लिए बड़ी राहत है जो गरीब या ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। क्योंकि यह दवा सस्ती, प्राकृतिक और आसानी से उपलब्ध होने वाली दवा है। शोध में यह भी साबित किया कि सिनापिक एसिड न केवल घाव भरने में मदद करता है बल्कि यह शरीर के मेटाबॉलिज्म यानी ऊर्जा बनाने की प्रक्रिया को भी बेहतर बनाता है, और डायबिटीज की वजह से होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है।
शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि सिनापिक शरीर के एक खास रास्ते को सक्रिया करता है जिसे एसआईआरटी-1 पाथवे कहते हैं। यह रास्ता शरीर के उत्तकों को ठीक रखने, नई रक्त वाहिकाओं के बनने और सूजन को कम करने में अहम भूमिका निभाता है। शोध में सिनापिक एसिड को डायबिटिक जानवरों पर टेस्ट किया गया और नतीजे बहुत अच्छे आए। इस खोज से भविष्य में डायबिटिक घावों का इलाज अब प्राकृतिक और सुरक्षित हो सकता है। इससे दवाओं के साइड इफेक्ट की समस्या भी कम होगी।
नागालैंड यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंजीनियर एंड टेक्नोलॉजी में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख प्रो. प्रणव कुमार प्रभाकर ने कहा कि डायबिटीज एक बहुत बड़ी बीमारी है, जो दुनिया भर में करोड़ों लोगों को प्रभावित करती है। डायबिटीज के कारण घाव धीरे-धीरे ठीक होते हैं जिससे संक्रमण और गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है। ऐसे में कम मात्रा में सिनापिक एसिड देना ज्यादा फायदेमंद रहा। जबकि अधिक मात्रा में इसका असर कम दिखा। इसे इनवर्टेड डोज रिस्पांस कहा जाता है। इसका मतलब है की दवा को सही मात्रा में लेना बहुत जरूरी है जो आगे दवा बनाने में मदद करेगा।
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