गरीब कैदियों को दिवाली गिफ्ट, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया आदेश

vardaannews.com

(नई दिल्ली) सुप्रीम कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के माध्यम से राज्य सरकारों की ओर से गरीब विचाराधीन कैदियों की जमानत राशि के भुगतान के लिए एसओपी में संशोधन किया है। पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा की ओर से दिए गए सुझाव को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया। शीर्ष न्यायालय ने पिछले वर्ष 13 फरवरी को जारी अपने पूर्व एसओपी में कुछ संशोधन किया और आदेश दिया कि जिला अधिकारी या जिला अधिकारी द्वारा नामित व्यक्ति, प्राधिकरण के सचिव, पुलिस अधीक्षक, संबंधित जेल के अधीक्षक/उपाधीक्षक और संबंधित जेल के प्रभारी न्यायाधीश की एक अधिकार प्राप्त समिति गठित की जाएगी।

 5 दिन के अंदर धनराशि जारी करने के निर्देश

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि ‘इंटर ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम’ (आईसीजेएस) में एकीकरण लंबित रहने तक जिला स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (डीएलईसी) रिपोर्ट प्राप्त होने की तारीख से 5 दिनों के भीतर प्राधिकरण की सिफारिश पर जमानत के लिए धनराशि जारी करने का निर्देश देगी। न्यायालय ने आदेश में कहा की समिति प्राधिकरण द्वारा सुझाए गए मामलों पर विचार करने के लिए प्रत्येक माह के पहले और तीसरे सोमवार (अगर ऐसे दिनों में अवकाश हो तो अगले कार्यदिवसों पर) को बैठक करेगी।

राशि सावधि जमा के रूप में होगी उपलब्ध

पीठ ने कहा कि अगर अधिकार प्राप्त समिति द्वारा यह सिफारिश की जाती है कि कोई विचाराधीन  कैदी ‘गरीब कैदियों को सहायता’ योजना के तहत सहायता पाने का पात्र है, तो उस स्थिति में उसे कैदी को अधिकतम 50000 तक की वित्तीय सहायता दी जा सकती है। यह राशि अदालत के पास सावधि जमा के रूप में या किसी अन्य निर्धारित माध्यम से उपलब्ध कराई जानी चाहिए। न्यायालय ने कहा कि यह प्रक्रिया समिति के निर्णय के 5 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए।

प्राधिकरण के सचिव को सूचित करें

प्राधिकरण सचिव अधिकार प्राप्त समिति की बैठकों के संयोजक होंगे। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि अगर विचाराधीन कैदी को जमानत दिए जाने के आदेश के 7 दिनों के भीतर जेल से रिहा नहीं किया जाता तो जेल अधिकारी प्राधिकरण के सचिव को सूचित करें। न्यायालय ने कहा कि सूचना प्राप्त होने पर प्राधिकरण के सचिव यह सुनिश्चित करेंगे कि विचाराधीन कैदी के बचत खाते में धनराशि है या नहीं और अगर राशि नहीं है, तो 5 दिनों के भीतर इसके लिए प्राधिकरण को अनुरोध भेजा जाएगा।

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