(हरियाणा) गोहाना क्षेत्र में एक निजी स्कूलों की प्राचार्य द्वारा पांचवी कक्षा की छात्रा से क्लासरूम में पोछा लगवाने और दूसरे बच्चों के सामने खड़ा करके शेम-शेम बुलवाने के मामले में हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की।
मौलिक अधिकारों का उल्लंघन : आयोग ने अधिकारियों से इस मामले में अब तक संस्थागत एवं कानूनी दृष्टि से की गई कार्रवाई का पूर्ण विवरण मांगा है। पुलिस आयुक्त और जिला शिक्षा अधिकारी को 28 अक्टूबर तक रिपोर्ट देनी होगी। आयोग ने कहा कि नाबालिक छात्रा का मानसिक स्वास्थ्य ही सर्वोपरि है, और इस प्रकार का अपमानजनक व्यवहार शिक्षा के उद्देश्य से पूर्ण रूप से विपरीत है। अगर आरोप सिद्ध होते हैं तो यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा।
पांचवी कक्षा में पढ़ती है : एक महिला ने 12 नवंबर को उपयुक्त और पुलिस अधिकारियों को शिकायत दी थी। महिला की बेटी पड़ोस के गांव के निजी स्कूलों में पांचवी कक्षा में पढ़ती है। उसकी बेटी 29 अगस्त को बुखार होने के कारण होमवर्क नहीं कर पाई थी। उस दिन बेटी स्कूल गई तो होमवर्क न करने का पता चलने पर स्कूल प्राचार्य ने उसकी बेटी से क्लासरूम में पोछा लगवाया। उसकी बेटी को छोटे बच्चों के सामने कक्षा में ले जाकर शेम-शेम बुलवाया था। प्राचार्य ने चेतावनी दी कि यदि आगे भी होमवर्क पूरा नहीं किया तो कड़ी सजा दी जाएगी।
इससे उसकी बेटी स्कूल जाने से डरने लगी। चिकित्सको को दिखाया तो कहा कि बच्ची सदमे में है, और स्कूल बदलवाने की सलाह दी।
अब हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने खड़ा संज्ञान लिया है। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा, सदस्य (न्यायिक) कुलदीप जैन एवं सदस्य दीप भाटिया रहे। आयोग ने कहा कि हर बच्चे को सुरक्षित और पोषणकारी वातावरण में शिक्षा प्राप्त करने का मौलिक अधिकार है।
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