(चंडीगढ़) पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दो जवानों की जबरन रिटायरमेंट के आदेश को खारिज कर दिया है।
जस्टिस विनोद एस भारद्वाज ने फैसले में कहा कि महज समय की पाबंदी से जुड़ी मामूली चूक के आधार पर इतनी सशक्त कार्रवाई करना सही नहीं है। विशेष तौर पर जवानों का सेवा रिकॉर्ड बेहतर रहा हो। कोर्ट ने मामले को संबंधित कमांडिंग ऑफिसर के पास भेजते हुए 4 महीने के भीतर गाइडलाइन के अनुरूप नया आदेश पारित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही दोनों जवानों को 1 अक्टूबर 2025 को अपनी-अपनी बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर (सीईओ) के सामने पेश होने को कहा है।
दो जवानों की जबरन रिटायरमेंट के आदेश : याचिकाकर्ता श्रीकांत गौड़ा पाटिल और चौधरी दशरथ भाई को 20 नवंबर 2014 को बीएसएफ नियम 1969 के नियम 26 के तहत अनुप्रयुक्त के आधार पर जबरन रिटायर कर दिया गया था। दोनों जवानों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और तर्क किया कि उनका सेवा रिकॉर्ड बेदाग था। पाटिल की पिछली 5 साल की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में चार बार बहुत अच्छा और एक बार अच्छा ग्रेड मिला। वहीं चौधरी दशरथ भाई को दो बार बहुत अच्छा और तीन बार अच्छा दर्जा मिला। उन पर छुट्टी पर देरी से लौटना या अनुपस्थित जैसे आरोप लगाए गए थे। सेवानिवृत्ति आदेश रद्द कर दिया : हाई कोर्ट ने पाया कि बीएसएफ अधिकारियों ने अपनी ही प्रशासनिक गाइडलाइन का पालन नहीं किया। इन गाइडलाइन के अनुसार अनिवार्य सेवानिवृत्ति से पहले जवानों के सेवा रिकॉर्ड का कम से कम तीन से चार वर्षो की अवधि में मूल्यांकन किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया की तीन या अधिक प्रतिकूल प्रविष्टि होना सेवानिवृत्ति का आधार नहीं, बल्कि यह केवल मूल्यांकन प्रक्रिया की शुरुआत का कारण हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि याचिका कर्ताओं का प्रदर्शन लगातार खराब नहीं था और ना ही सुधार की संभावनाएं पूरी तरह खत्म हुई थी। इस आधार पर 2014 का सेवानिवृत्ति आदेश रद्द कर दिया गया।
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