मेघालय हनीमून मर्डर केस के बाद रिश्तो को लेकर युवाओं में सुरक्षा और अनिश्चितता देखी जा रही है। जहां कुछ दिनों पहले तक एक महीने में प्री मैरिज काउंसलिंग के 1 या 2 केस सामने आते थे वह अब बढ़कर हर दिन 15 से अधिक हो गए हैं। इनमें कई युवा अकेले तो कहीं जोड़े परामर्श लेने पहुंच रहे हैं।
डॉक्टर का कहना है कि कई युवक यह जानना चाहते हैं की लड़की कहीं मजबूरी में तो शादी नहीं कर रही है? वही कोई युवक यह जानना चाहता है की लड़की का पुराना अफेयर अभी भी तो नहीं है और यदि है तो उसे क्या करना चाहिए। वही कोई युवक तो यह पूछता है कि क्या साइकोलॉजिस्ट उसके होने वाले जीवन साथी को हिप्नोटाइज़ कर सच्चाई निकाल सकता है क्या?
अचानक बड़े केसों के कारण डॉक्टर खुद हैरान है और मानते हैं कि आने वाले दिनों में और ज्यादा केस बढ़ाने के चांस है।
सीनियर साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर अमित श्रृंगी बताती है कि पहले प्री मैरिज काउंसलिंग एक वैकल्पिक प्रक्रिया मानी जाती थी लेकिन अब यह जरूरत बनती जा रही है। आजकल लड़के लड़कियां ही नहीं बल्कि उनके माता-पिता भी चाहते हैं कि मानसिक और भावनात्मक रूप से दोनों पक्ष एक दूसरे के अनुकूल है या नहीं यह पहले से ही पता लग जाए।
मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर तुषार जागवत का कहना है कि पहले ग्रह नक्षत्र की कुंडली मिलाई जाती थी लेकिन अब मानसिकता, सोच, जीवन के प्रति नजरिया और मूल्यों की समानता की कुंडली मिल रहे हैं इससे न केवल तलाक की संभावना कम होती है बल्कि रिश्तों में गहराई और समझदारी भी आती है।
डॉ अमित श्रृंगी बताती है कि कई बार युवा यह भी पूछते हैं कि क्या हिप्नोटाइज कर उसकी सोच को जान सकते हैं? इस पर एक्सपर्ट्स ने कहा कि हिप्नोटाइज जादू नहीं है यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। लेकिन इसे जबरदस्ती सच्चाई जानने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
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