(पंजाब) 32 साल पहले 1993 में हुए एक फर्जी एनकाउंटर में सीबीआई की विशेष अदालत ने तीन पुलिस अधिकारियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है।
मामला उस समय का है जब पंजाब में उग्रवाद अपनी चरम सीमा पर था। कई बार पुलिस पर कानून की अनदेखी कर निर्दोष लोगों को फर्जी एनकाउंटर में मार देने के आरोप लगे थे। इस केस में दो नौजवानों बलविंदर सिंह (पप्पू) और बलवीर सिंह को पुलिस ने अवैध हिरासत में लेकर फर्जी एनकाउंटर में मार दिया था। मामला पंजाब के फगवाड़ा जिले से जुड़ा हुआ है।
यह मामला 1993 का है जब पुलिस ने रावलपिंडी गांव के निवासी बलविंदर सिंह को उसके घर से जबरन उठाया वहीं दूसरी टीम ने बलवीर सिंह को भी अगवा कर लिया। दोनों को कई दिन तक हिरासत में रखकर पीटा गया और बाद में फर्जी एनकाउंटर में मारे जाने का दावा किया गया। परिजनों ने इस अन्य के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिसके बाद पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई ने जांच के बाद आरोपितों के खिलाफ हत्या और अन्य कहीं धाराओं में चार्जसीट दाखिल की। इतने वर्षों के बाद अब अदालत ने तीन अधिकारियों को दोषी ठहराया है।
सीबीआई की अदालत ने तुरंत प्रभाव से इंस्पेक्टर मनजीत सिंह और एएसआई गुरमीत सिंह को 8-8 साल की सजा सुना दी गई है। जबकि तत्कालीन थाना अध्यक्ष करमजीत सिंह को 3 साल की कैद और जुर्माने की सजा दी गई है। मामले में आरोपित बनाए गए सिपाही कश्मीर सिंह और हरजीत सिंह को सबूत के अभाव में न्यायालय ने बरी कर दिया।
फैसले के बाद पीड़ित परिवार ने कहा कि उन्हें सुकून मिला है की अदालत ने पुलिस के झूठ को उजागर कर दोषियों को सजा दी है लेकिन दोषियों को सजा बहुत कम दी गई है। फिलहाल परिवार अब हाई कोर्ट में अपील दायर कर इन अधिकारियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाने की कोशिश करेगा।
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