हरियाणा शिक्षा विभाग में साइबर फर्जीवाड़े का खुलासा, एचआरएमएस पोर्टल पर महिला कर्मचारी के पदनाम से छेड़छाड़

vardaannews.com

(चंडीगढ़) हरियाणा शिक्षा विभाग में साइबर छेड़छाड़ का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। विभाग की तकनीकी शाखा में कार्यरत एक महिला कर्मचारी के पदनाम से एचआरएमएस पोर्टल के माध्यम से हेरा फेरी की गई है। आरोप है कि यह बदलाव विभाग की ही तकनीकी शाखा में तैनात एक अन्य कर्मचारी को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया है। मामले का खुलासा तब हुआ जब पीड़ित महिला कर्मचारी ने अपने खाते में एसीपी लगने के बाद पदनाम में गड़बड़ी देखी। फरवरी 2025 में महिला कर्मचारी द्वारा इस बात की शिकायत निदेशक सेकेंडरी शिक्षा विभाग से की गई। बावजूद इसके मामले में किसी तरह की कार्यवाही नहीं हुई। यहां तक की आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी गई तो मामले को 10 साल पुराना बताते हुए जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।

अब महिला कर्मचारी ने विभाग के डीडीओ से आईटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करवाने की मांग की है। हालांकि मामले में पंचकूला सेक्टर-5 पुलिस ने महिला कर्मचारी की शिकायत पर डीडीआर दर्ज कर ली है, और प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि अगर एचआरएमएस पोर्टल से किसी का पदनाम बदला गया है तो यह गंभीर साइबर उल्लंघन की श्रेणी में आता है। अब देखने वाली बात होगी कि विभाग इस तरह की हेरा फेरी पर नया सख्त कदम क्या उठाता है।

दरअसल विभाग में प्रोफेसर के चार पद स्वीकृत है लेकिन विभाग ने इन पदों पर पांच लोगों की नियुक्ति कर रखी है। लिहाजा किसी एक की नियुक्ति नियमों से परे जाकर हो रखी है। इन पदों पर राजेश कक्कड़, वरुण अग्रवाल, अनिल रांगी, नरेंद्र कुमार और उक्त महिला कर्मचारी कार्यरत है। इनमें राजेश कक्कड़ बहुत पहले से रेगुलर प्रोग्रामर हो चुके हैं। बाद में अन्य चारों रेगुलर प्रोग्रामर बने है। चूंकि इनमें से एक को विभाग ने वर्ष 2014 में रेगुलर प्रोग्रामर के बराबर का दर्जा दिया हुआ है, जबकि वह रेगुलराइजेशन के समय में किसी अन्य पद पर कार्यरत थे। वहीं दूसरी तरफ विभाग में असिस्टेंट डायरेक्टर आईटी और तकनीकी ऑफिसर के दो पद खाली है, और यह दोनों पद सीनियरिटी के तहत ही भरे जा सकते हैं। लिहाजा पिछले 7-8 साल से अनिल रांगी और उक्त महिला सहित अन्य विभागीय अधिकारियों से सीनियरिटी तय करने की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन विभाग किसी एक कर्मचारी को बचाने के चक्कर में सीनियरिटी ही तय नहीं कर पा रहा है। जबकि यह दोनों पद वर्ष 2018 से खाली पड़े हैं। यह मामले में सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि एक कर्मचारियों को बचाने के लिए दूसरे कर्मचारियों के एचआरएमएस पोर्टल से छेड़छाड़ हो सकती है। यह खुलासा उसे समय सामने आया जब फरवरी 2025 में एसीपी लगी। महिला कर्मचारी ने पाया कि एचआरएमएस पोर्टल में दर्ज पदनाम से छेड़छाड़ हो रखी है।

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