(नई दिल्ली) बीमा क्षेत्र में होने वाली धोखाधड़ी पर लगाम के लिए सभी इंश्योरेंस कंपनियों को धोखाधड़ी नियंत्रण नीति या फ्रेमवर्क बनाने के लिए कहा गया है। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण इरडा के निर्देश के मुताबिक सभी इंश्योरेंस कंपनियों के लिए धोखाधड़ी रोकने के लिए फ्रेमवर्क बनाना अनिवार्य होगा। जो अगले साल 1 अप्रैल से लागू किया जाएगा।
धोखाधड़ी की वजह से बीमा खरीदने के बदले अधिक कीमत चुकानी पड़ती है : इरडा को इंश्योरेंस की खरीदारी से लेकर दावे व उसके निपटान में धोखाधड़ी की शिकायत मिलती रहती है। कई बार ईमानदार ग्राहकों को इस धोखाधड़ी की वजह से बीमा खरीदने के बदले अधिक कीमत चुकानी पड़ती है, तो कई बार अस्पताल या फिर ग्राहक की तरफ से दावे में धोखाधड़ी के मामले सामने आते हैं। बीमा क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि इंश्योरेंस से जुड़े 10-15 दावे या तो गलत होते हैं या फिर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए जाते हैं। देश के कुछ हिस्सों में हेल्थ और मोटर इंश्योरेंस के दावों में धोखाधड़ी का औसत 20-25% तक है।
इलाज के खर्च को काफी अधिक बढ़ाकर पेश करने का आरोप : इरडा का मानना है कि इंश्योरेंस से जुड़ी धोखाधड़ी पर लगाम से ईमानदार ग्राहकों के हितों की रक्षा होगी। साथ ही कंपनियों की वित्तीय स्थिति भी मजबूत होगी। हेल्थ इंश्योरेंस की कई कंपनियां अस्पतालों पर इलाज के खर्च को काफी अधिक बढ़ाकर पेश करने का आरोप लगाती रहती है। इस कारण कंपनी आए दिन कैशलेस इलाज की सुविधा बंद करने की धमकी देती रहती है।
इरडा ने कहा कि सभी इंश्योरेंस कंपनियों को किसी वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में धोखाधड़ी निगरानी समिति का गठन करना होगा। इसके अलावा स्वतंत्र रूप से फ्रॉड मॉनिटरिंग यूनिट का गठन होगा, जो रियल टाइम में धोखाधड़ी के बारे में सूचित करेगी। सभी फ्रॉड की जानकारी इंश्योरेंस कंपनियां पुलिस को देगी और इसकी सालाना रिपोर्ट इरडा को सपना अनिवार्य होगा।
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