यह डायबिटिक न्यूरोपैथी एक नर्व डैमेज (तंत्रिका क्षति) से जुड़ी समस्या है। यह उन लोगों में अधिक होती है जिनका डायबिटीज लंबे समय तक अनियंत्रित रहता है। बढ़े हुए शुगर लेवल की वजह से शुगर शरीर की नसें क्षतिग्रस्त होने लगती है। पहले इनका कामकाज बिगड़ता है फिर धीरे-धीरे खत्म होने लगता है। आमतौर पर यह समस्या शरीर के ऊपरी और निचले अंगों में देखी जाती है लेकिन इसमें पैर और तलवों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचता है।
सभी अंगों पर प्रभाव : डायबीटिक न्यूरोपैथी में शरीर की कोई भी नस प्रभावित हो सकती है। विशेष रूप से यह गैंग्लिया, रीड की हड्डी, हृदय, मूत्राशय और पेट की तंत्रिका को नुकसान पहुंचाती है। जब शरीर के किसी हिस्से की तंत्रिका डैमेज हो जाती है उसे हिस्से में सिग्नल भेजना बंद कर देती है। इसकी वजह से शरीर का अंग सुन्न पड़ जाता है और सही तरीके से काम नहीं कर पाता है। यह बेहद खतरनाक स्थिति है जो कई बार जानलेवा भी साबित हो सकती है।
लक्षणों की पहचान : डायबीटिक न्यूरोपैथी के सबसे प्रमुख लक्षणों में हथेली और तलवों में झनझनाहट और तापमान या दर्द महसूस करने की क्षमता कम होना है। इसके अलावा जलन महसूस होना सुई या कुछ नुकीली चीज चुभने जैसा एहसास होना और छूने पर कुछ महसूस न होने जैसे लक्षण भी डायबीटिक न्यूरोपैथी में नजर आते हैं। इसके अलावा फुट अल्सर होना, जोड़ों में दर्द, मतली, उल्टी, डायरिया होना, भूख न लगना, निजी अंगों में परेशानी और कूल्हों में गंभीर दर्द भी हो सकता है। इसका प्रभाव आंखों पर भी पड़ता है। आंखों के पीछे दर्द होना या विजन ब्लर होना भी इसके लक्षण हो सकते हैं। इस बीमारी के कारण आंखों की रेटिना में छोटे-छोटे घाव भी हो जाते हैं जिससे डायबीटिक रेटिनोपैथी हो जाती है। इसके इससे अलावा हृदय में भी कई समस्याएं हो सकती है।
क्या है कारण? : जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या पहले से ही है उन्हें डायबीटिक न्यूरोपैथी हो सकती है। कुछ अनुवांशिक कारक भी नर्व डैमेज की आशंका को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, किडनी से जुड़ी बीमारी, मोटापा, ज्यादा शराब पीना, धूम्रपान करना भी इसके कारण हो सकते हैं।
इलाज और बचाव : डायबीटिक न्यूरोपैथी से बचने के लिए ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल लेवल और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है। अगर आपको डायबिटीज है तो नियमित रूप से ब्लड शुगर की मॉनिटरिंग करें। संतुलित भोजन का सेवन करें। इसके अलावा चीनी और मीठे पदार्थों के सेवन करने से भी बचना चाहिए। सुबह शाम वॉक के लिए समय पर जरूर निकले। डायबीटिक न्यूरोपैथी से बचने के लिए सिगरेट और अल्कोहल के सेवन से भी बचना चाहिए। चिकित्सक द्वारा दी गई दवाइयां समय पर ले। साल में एक बार न्यूरोलॉजिकल टेस्ट और पैर का परिक्षण आवश्यक करवाए। दर्द को कम करने वाली दवाई और फिजियोथेरेपी इसके लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है।
कट या घाव : पर ध्यान डायबिटीज रोगियों को चोट से बचना चाहिए। इसके लिए रोजाना पैरों की जांच करें और कट या घाव पर ध्यान दे। पैरों को साफ और सूखे रखे। वॉक पर जाते समय मोझे और जूते जरूर पहनें। नर्व डैमेज के लक्षणों जैसे जलन, चुभन या चलने में संतुलन होने पर इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें, तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। इससे भी ज्यादा जरूरी है कि आप नियमित रूप से ब्लड शुगर की जांच करके इसकी निगरानी करें। अगर आपको शुगर लेवल अनियंत्रित होता नजर आए तो चिकित्सक से सलाह लेकर जरूरी उपाय अपनाए। इसमें कोई भी लापरवाही ना करें, वरना समस्या बढ़ सकती है। एक बार नर्व डैमेज हो जाए तो इसे ठीक करना संभव नहीं होता। इसीलिए अत्यंत सावधानी बरतें और नर्व को डैमेज ना होने दे।
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