(चंडीगढ़) हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने ग्रुप सी के लिए सीईटी 2025 का आयोजन किया था। इसका रिजल्ट अभी घोषित होना है। आयोग ने पब्लिक नोटिस के जरिए नॉर्मलाइजेशन 2022 फार्मूला लागू करने की जानकारी दी थी। कुछ अभ्यर्थियों ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में इस नॉर्मलाइजेशन फार्मूले को रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी। साथ में सीईटी 2022 के 10 जनवरी 2023 को घोषित परिणामों के साथ नॉर्मलाइजेशन पर आयोग के मौन रहने का मुद्दा भी उठाया था।
जस्टिस संदीप मौदगिल की खंडपीठ ने सोमवार 02-09-2025 को याचिका पर सुनवाई की ओर याचिका खारिज करने का आदेश पारित किया। याचिकाकर्ताओं के वकील एडवोकेट अंकुर सिधार ने बताया कि प्रतिवादी आयोग की तरफ से सुनवाई के दौरान खंडपीठ को जानकारी दी कि अभी है याचिका प्रीमेच्योर है। क्योंकि अभी रिजल्ट घोषित नहीं हुआ है। इसीलिए परिणाम घोषित होने के बाद ही कथित शिकायतों का निवारण किया जा सकता है। उन्होंने बताया है कि आदेश अपलोड होने के बाद वास्तविक स्थिति पता चलेगी।
एडवोकेट अंकुर सिधार ने बताया कि सीईटी 2025 चार सेटो में हुआ है। इसमें 26 जुलाई 2025 की सुबह और 27 जुलाई 2025 की शाम की शिफ्ट में पेपर कठिन था। इसका रिजल्ट घोषित करने के लिए आयोग ने पहले ही 04-11-2022 को घोषित नॉर्मलाइजेशन फॉर्मूला लागू करने का नोटिस जारी किया हुआ है। इसके अलावा सीईटी 2022 का रिजल्ट 10-1-2023 को घोषित हो रखा है। इस रिजल्ट के साथ 2025 के रिजल्ट को नॉर्मलाइजेशन करने के तरीके पर आयोग मौन है। इसीलिए याचिका में इन दो बिंदुओं को उठाया गया था। याचिका के सार में लिखा था सामान्य पात्रता परीक्षा नीति 5-5-2022 को अधिसूचित की गई थी। जिसमें सीईटी परीक्षा में प्राप्त अंकों के लिए 3 साल की वैद्यता थी और सीईटी 2022 का परिणाम 10-01-2023 को घोषित किया गया था, जो 10-01-2026 तक वैध है। अब सीईटी 2025 परीक्षा 26 और 27 जुलाई 2025 को 4 शिफ्टों में आयोजित की गई है, और इसका परिणाम प्रतीक्षित है। जिसे 11-07-2025 और 4-11-2022 के नोटिस के अनुसार अंकों को सामान्य करने के बाद घोषित किया जाना है।
लेकिन 10-01-2023 को घोषित रिजल्ट 10-01-2026 तक मान्य है। मगर उसके अंकों के नॉर्मलाइजेशन के लिए यह नोटिस पूरी तरह से चुप है। क्योंकि 26 जुलाई सुबह और 27 जुलाई शाम की शिफ्टों अन्य बहुत आसान और छोटी दो शिफ्टों की तुलना में अत्यंत कठिन स्तर की और लंबी थी। अन्य बातों के साथ-साथ दो अलग-अलग एजेंसियों द्वारा तैयार किए जाने के कारण औसत उम्मीदवारों के कच्चे अंकों में अंतर 15 से 25 अंकों से अधिक है, और अपनाई जाने वाली नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया भी इन कठिन शिफ्टों के उम्मीदवारों की मदद नहीं कर रही है। मामले की गंभीरता इस तथ्य से प्रमाणित होती है की प्रतिवादी आयोग के अध्यक्षों को अंकों के नॉर्मलाइजेशन के बेहतर तरीके के लिए उम्मीदवारों से सुझाव मांगना पड़ा है, लेकिन लगभग परिणाम तैयार करते समय उपरोक्त विसंगति के संबंध में पूरी तरह से अपारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
याचिका कर्ताओं समेत लगभग 15 लाख अभ्यार्थियों को गंभीर रूप से नुकसान हो रहा है। क्योंकि उक्त परिणाम प्रतिवादी आयोग द्वारा विज्ञापित किए जाने वाले अधिकांश ग्रुप सी पदों के लिए आवेदन करने का आधार होगा, जो इसे आ, करके स्पष्ट, मनमाना, अनुसूचित, अन्यायपूर्ण, कानून के स्थापित सिद्धांत के खिलाफ और प्राकृतिक न्याय, इक्विटी और अच्छे विवेक के सिद्धांतों के भी खिलाफ बनाता है और इसलिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है।
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