बिहार में संदिग्ध मिली तीन लाख लोगों की नागरिकता, चुनाव आयोग ने दिया नोटिस

vardaannews.com

बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू होने के साथ ही चुनाव आयोग को बड़ी संख्या में विदेशी नागरिकों का नाम मतदाता सूची में दर्ज होने की प्रारंभिक जानकारी मिली थी। अब इसको लेकर तस्वीर साफ होती दिख रही है। चुनाव आयोग की मसौदा सूची में शामिल तीन लाख लोगों की नागरिकता साबित करने के लिए नोटिस दिया गया है।

आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक इनमें से ज्यादातर लोगों के नेपाल और बांग्लादेश का नागरिक होने की संभावना है। इन तीन लाख लोगों की पहचान बिहार के 8 जिलों से की गई है। अन्य जिलों में भी इनकी जांच चल रही है। माना जा रहा है कि इनकी संख्या अभी और बढ़ सकती है। फिलहाल जिन जिलों में से इन लोगों की पहचान की गई है, उनमें पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, अररिया और सुपौल शामिल है।

जिन तीन लाख लोगों को नोटिस दिया गया है उन्हें 25 सितंबर से पहले नागरिकता प्रमाणित करने वाले दस्तावेज देने होंगे। 25 सितंबर तक ऐसे मामलों पर अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा। आयोग के तय कार्यक्रम के मुताबिक 30 सितंबर तक अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन हो जाएगा। इस कार्यक्रम के अनुसार अभी मसौदा सूची को लेकर दावे और आपत्तियां की जा रही है।

गौरतलब है की पुनरीक्षण के दौरान आयोग पहले ही करीब 65 लाख लोगों को मतदाता सूची से बाहर कर चुका है। इनमें मृत, दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके और दो जगह से नाम दर्ज करने वाले मतदाता शामिल थे। राजनीतिक दलों में अब तक भाकपा माले में थोड़ी सक्रियता दिखी थी। बताया जाता है कि एक दिन पहले तक उसकी ओर से 79 शिकायत दर्ज की गई थी, और नाम जोड़ने का आग्रह किया गया था।

राजद और एआइएमआइएम ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष संघन पुनरीक्षण एसआईआर में प्रारूप सूची में शामिल नहीं हुए लोगों की आपत्तियां दाखिल करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग की है। कोर्ट इन अर्जियों पर मुख्य मामले के साथ 8 सितंबर को सुनवाई करेगा। अभी दावे और आपत्तियां दाखिल करने की समय सीमा एक सितंबर थी। कोर्ट के समक्ष शुक्रवार को वकील प्रशांत भूषण, वरिष्ठ वकील शोएब आलम और निजाम पाशा ने नई अर्जियों का जिक्र कर जल्दी सुनवाई का अनुरोध किया है। आलम ने कहा कि दायर किए गए दावों और आपत्तियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है इसीलिए समय बढ़ाने की जरूरत है। एआइएमआइएम के वकील पक्ष ने कहा कि कोर्ट के 22 अगस्त के आदेश से पहले 84 हजार दावे दाखिल हुए थे जबकि आदेश के बाद करीब 95 हजार दावे दाखिल हुए। इसके मध्य नजर समय बढ़ाने की आवश्यकता है।

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