पहलवानों का रोज होगा वजन, नेशनल गेम से पहले डोपिंग टेस्ट, जवाबदेही भी होगी तय

vardaannews.com

भारतीय कुश्ती में डोपिंग, ओवरवेट, ओवरएज जैसी बढ़ती समस्याओं से निपटने के लिए भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) ने कड़ा कदम उठाया है। 13 सितंबर से होने वाला विश्व चैंपियनशिप के लिए क्रोशिया पहुंचे भारतीय पहलवानों की हर दिन निगरानी होगी, क्योंकि पिछले कुछ समय से भारतीय महिला कुश्ती लगातार विवादों में रही है। पहले डोपिंग विवादों ने खेल की साख पर बट्टा लगाया जिसमें ओलंपियन व एशियाई मेडलिस्ट तीन खिलाड़ी डोपिंग में पॉजीटिव पाई गई थी। अब हाल ही में विश्व चैंपियनशिप की मेडलिस्ट नेहा सांगवान की वजन सीमा से 600 ग्राम ज्यादा होने पर टीम से बाहर कर दिया गया। साथ ही उन्हें 2 साल के लिए निलंबित भी कर दिया गया है। सुशील कुमार, विनेश फोगाट के बाद नेहा तीसरी खिलाड़ी है जिस पर ओवरवेट होने की गाज गिरी है।

लापरवाही और निगरानी में चूक बन रहा बड़ा कारण : पहलवान अकसर अंतिम समय पर वजन कम करने की कोशिश करते हैं। सही डाइट और साइंटिफिक ट्रेनिंग की कमी की वजह से यह जोखिम और बढ़ जाता है। तेजी से फिटनेस और ताकत पाने की चाहत के अलावा बेहतर परिणाम के लालच में भी खिलाड़ी प्रतिबंधित दवाइयां का सहारा लेते हैं।

कमी साइंटिफिक स्पोर्ट सिस्टम की : यूरोप और अमेरिका की तरह यहां न्यूट्रिशनिष्ट, साइकोलॉजिस्ट और परफॉर्मेंस एनालिस्ट की टीम खिलाड़ियों को नियमित सहयोग नहीं दे रही है। खिलाड़ियों पर परिणाम लाने का दबाव तो है पर तैयारी का अनुशासनिक सिस्टम ढीला है। क्योंकि निगरानी तंत्र सशक्त नहीं है।

हरियाणा के चरखी दादरी की नेहा सागवान पहली बार ओवरवेट के कारण बाहर नहीं हुई है। कुश्ती संघ के मुताबिक पिछले साल जूनियर चैंपियनशिप व इस साल वर्ल्ड रैंकिंग प्रतियोगिता में भी वह मुश्किल से तय वजन में पहुंच पाई थी। इसी कारण उन्होंने अपने कैटेगिरी 57 से 59 किलोग्राम की थी।

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