पंजाब ने न पीएम फसल बीमा, न राज्य की योजना, किधर जाएं किसान?

vardaannews.com

पंजाब 38 वर्षों के बाद सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा की चपेट में है। राज्य के 8 जिलों में 1000 से अधिक गांव बाढ़ में जलमग्न हुए हैं। अनुमान है कि राज्य की 2 लाख एकड़ में धान की फसल बर्बाद हो चुकी है। वास्तविक नुकसान तो पानी उतरने पर पता चलेगा, पर इस तबाही ने किसानों का खून सुखा दिया है। पंजाब में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू नहीं है। राज्य सरकार अपनी भी कोई बीमा योजना नहीं ला पाई है। राज्य सरकार के पास किसानों को मुआवजा देने के लिए अपना कोई फंड भी नहीं है। ऐसी स्थिति में बाढ़ से किसानों के अभूतपूर्व नुकसान की भरपाई कैसे होगी। यह विचारणीय विषय है।

10% से अधिक नुकसान होने पर मुआवजा मिलता है : राज्य 1988 के बाद वर्तमान में सबसे बड़ी बाढ़ की त्रासदी का सामना कर रहा है। ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरू की थी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में क्लस्टर (गांव में कुछ किसानों की भूमि को मिलाकर बनने वाला हिस्सा) के आधार पर 10% से अधिक नुकसान होने पर मुआवजा मिलता है। पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस योजना का विरोध किया था। जिसके कारण यह योजना पंजाब में लागू नहीं हो पाई थी। राज्य सरकार का कहना है कि इस योजना को सबसे बड़ी खामी क्लस्टर आधार है। योजना में क्लस्टर का प्रावधान नुकसान झेलने वाले किसानों के लिए किसी काम का नहीं है। दूसरा तर्क था कि केंद्र की यह योजना पंजाब की भौगोलिक स्थिति में फिट नहीं बैठती।

पंजाब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बाहर क्यों ? : कांग्रेस सरकार के पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने बताया था कि पंजाब प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बाहर क्यों रहा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने इसका विरोध इसलिए किया था क्योंकि इस योजना में नुकसान का आकलन अलग-अलग खेतों के बजाय गांव स्तर पर किया गया था। इसके अलावा अतिरिक्त प्रीमियम का बोझ डाला गया था, जो केवल बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए था। कांग्रेस सरकार ने अपने स्तर पर फसली बीमा योजना लाने पर विचार करने की बात कही थी। लेकिन बात बहुत आगे नहीं बढ़ी। कांग्रेस के बाद आप सरकार के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने लगभग ढाई वर्ष पहले 26 मार्च 2023 को घोषणा की थी कि राज्य शीघ्र ही अपनी फसल बीमा योजना लाएगा। परंतु इस सरकार में भी वही स्थिति रही।

अमरिंदर सरकार ने पंजाब फार्मर्स कमीशन के तत्कालीन अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ को पंजाब की अपनी फसल बीमा योजना पर सिफारिशें देने को कहा था। पंजाब फार्मर्स कमिश्नर ने मुआवजा फंड बनाने का प्रस्ताव रखा था। यह फंड किसानों से फसल मूल्य के 0.1% के नाम मात्र योगदान से स्थापित किया जाना था। इसमें सरकार द्वारा दोगुनी राशि दी जानी थी। प्रारंभ में 200 करोड. रुपए का एक कोष स्थापित किया जाता, जिससे प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल की हानि होने पर किसानों को पूरा मुआवजा दिया जाता। यह योजना भी सिरे नहीं चढ़ सकी।

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