187 लोगों को मौत की नींद सुलाने वाले मुंबई ट्रेन धमाको के सभी 12 आरोपी बरी

vardaannews.com

वर्ष 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाको में विशेष अदालत से सजा पाए 12 अभियुक्तों को घटना के 19 वर्ष बाद मुंबई हाई कोर्ट ने सोमवार को बरी कर दिया।

अभियुक्तों ने कोई अपराध नहीं किया : हाई कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के सभी दावों की धज्जियां उड़ा दी और कहां की वह मामले को साबित करने में पूरी तरह विफल रहा और यह विश्वास करना कठिन है कि अभियुक्तो ने कोई अपराध किया है। साथ ही कहा यदि अभियुक्त किसी अन्य मामले में वंचित नहीं हो तो उन्हें तुरंत जेल से रिहा कर दिया जाए। इसके बाद सात अभियुक्तों को विभिन्न जिलों से रिहा भी कर दिया गया।

एटीएस के लिए बड़ा झटका : विशेष अदालत ने 2015 में इनमें से पांच को मौत की सजा और सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। मौत की सजा पाए एक अभियुक्त की 2021 में मौत हो गई थी। अभियुक्तों ने विशेष अदालत द्वारा दी गई सजा और दोषसिद्धि को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट का फैसला इस मामले की जांचकर्ता एजेंसी महाराष्ट्र एटीएस के लिए बड़ा झटका है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फ़डणवीस ने फैसले को चौंकाने वाला बताते हुए कहा कि उन्होंने वकीलों से चर्चा की और फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। गौर तलाब है कि 11 जुलाई 2006 की शाम मुंबई की सात लोकल ट्रेनों में 11 मिनट के भीतर हुए सात धमाकों में 187 लोगों की मौत हो गई थी, और 829 लोग घायल हुए थे।

जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की विशेष पीठ ने यह फैसला सुनाया। पीठ में शामिल जस्टिस किलोर ने साफ कहा कि किसी अपराध के वास्तविक अपराधी को दंडित करना, आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने, कानून का शासन बनाए रखने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस और आवश्यक कदम है। लेकिन यह दिखावा करके कि अभियुक्तों को न्याय के कटघरे में लाया गया है और मामले को सुलझाने का झूठा दिखावा करना समाधान का एक भ्रामक आभास देता है। यह जनता के विश्वास को कमजोर करता है और समाज को झूठा आश्वासन देता है। जबकि वास्तव में असली खतरा बना हुआ है। यह मामला मूल्यत: यही बताता है।

इकबालिया बयान अस्वीकार्य घोषित : पीठ ने अपने 671 पृष्ठों के फैसले में सभी अभियुक्तों के एक इकबालिया बयानों को अस्वीकार्य घोषित करते हुए कहा कि अभियुक्तों ने यह स्थापित किया है कि एक इकबालिया बयान के लिए उन्हें यातना दी गई। इकबालिया बयानों की नकल की गई है। हाई कोर्ट ने कहा यह शर्मा सर्वाविदित है कि अधिकांश मामलों में पुलिस अवैध और अनुचित तरीकों से जिसमें यातना भी शामिल है जबरन अपराध स्वीकार करवा लेती है।

news #instagram #india #viral #trending #breakingnews #media #newsupdate #love #music #politics #follow #covid #like #instagood #berita #noticias #fashion #update #tv #usa #football #entertainment #beritaterkini #sports #explore #info #new #newspaper #business

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *