छत्तीसगढ़ में लगातार हो रहे साइबर अपराध को लेकर बुधवार को मानसून सत्र के तीसरे दिन विधानसभा में सत्ता पक्ष के विधायकों ने अपनी ही सरकार को घेर लिया।
पिछले डेढ़ साल में 107 करोड. रुपए की साइबर ठगी : प्रश्नकाल के दौरान सामने आया कि पिछले डेढ़ साल में राज्य में 107 करोड. रुपए की साइबर ठगी हुई है। जबकि पीड़ितों को अब तक केवल 3.69 करोड. रुपए की राशि ही लौटी जा सकी है। प्रश्नकाल में भाजपा के रायपुर दक्षिण विधायक सुनील सोनी ने कहा कि राज्य में साइबर अपराध बेकाबू होता जा रहा है। वर्ष 2020 में 2295, 2021 में 7134, 2022 में 12295 और 2023 में 22296 साइबर ठगी के मामले सामने आए हैं। 2024 में सरकार द्वारा 1301 मामलों की जानकारी दी गई थी, पर एआई आधारित आंकड़ों के अनुसार 17693 मामले बताए गए हैं।
महज 3 करोड. रुपए पीड़ितों को लौटाए : प्रदेश में ठगी के मामलों में करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी होने के बावजूद साइबर थाना प्रदेश भर में सीमित है और बहुत कम लोगों को इसकी जानकारी है भाजपा के रायपुर-पश्चिम विधायक राजेश मूणत ने कहा कि 107 करोड. रुपए की ठगी में महज 3 करोड. रुपए ही पीड़ितों को लौटाए जा सके है। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने पूछा कि साइबर अपराध रोकने के लिए कितने कमांडो और विशेषज्ञ नियुक्त किए गए हैं। बता दे कि साइबर धोखाधड़ी मामले में सरकार ने सक्रियता बढ़ाई है।
बैंकों के कर्मचारी भी जुड़े : उप मुख्यमंत्री व गृहमंत्री विजय शर्मा ने सदन में बताया कि जनवरी 2024 से जून 2025 के बीच राज्य में साइबर अपराध के 1304 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। जिन में 147 मामले रायपुर से जुड़े हैं। जांच में सामने आया कि साइबर ठगी के कई प्रकरणों में बैंकों के कर्मचारी भी संलिप्त पाए गए हैं। रायपुर में एक प्रकरण में उत्कर्ष स्मॉल फाइनेंस बैंक के चार कर्मचारी आरोपित हैं। दुर्ग में बंधन बैंक से जुड़े एक आरोपित के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है। बिलासपुर में कोटक महिंद्रा बैंक के दो कर्मचारियों को आरोपित बनाया गया है। कुल 7 आरोपितों पर एफआईआर दर्ज कर उन्हें जेल भेजा गया है। अब तक 75 एफआईआर इन मामलों में दर्ज की गई है।
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