(मुंबई) बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित एक फिल्म के निर्माता द्वारा दर याचिका पर जवाब मांगा है। निर्माता ने फिल्म को प्रमाणन देने में देरी का आरोप लगाया है। कोर्ट ने मौखिक रूप से यह भी टिप्पणी की है कि सीबीएफसी को कानून में निर्धारित समय सीमा के भीतर प्रमाण पत्र जारी करना आवश्यक है।
सम्राट सिनेमैटिक ने हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में फिल्म ‘अजय : द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी’ के लिए प्रमाणन आवेदनों पर कार्रवाई करने में सीबीएफसी की मनमानी अनुचित और अस्पष्ट देरी पर सवाल उठाया है। जिसमें इसका टीजर, ट्रेलर और प्रचार गीत भी शामिल है। यह फिल्म ‘ द मोंक हू बिकेम चीफ मिनिस्टर’ नामक पुस्तक से प्रेरित है। जो कथित तौर पर योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित है। यह फिल्म 1 अगस्त को सिनेमाघर में रिलीज होने वाली थी। मंगलवार को याचिका की सुनवाई के दौरान सीबीएफसी के एक अधिकारी ने वकील नियुक्त करने के लिए समय मांगा। कोर्ट ने इस पर सहमति जताते हुए सेंसर बोर्ड को नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई 17 जुलाई को होगी। निर्माता के वकील रवि कदम और अधिवक्ता सत्य आनंद तथा निखिल अराधे ने कहा कि सीबीएफसी ने अभी तक फिल्म, टीजर और प्रचार गीत की स्क्रीनिंग भी निश्चित नहीं की है।
याचिका में कहा गया कि सीबीएफसी सिनेमाटोग्राफ ‘ अधिनियम 1952’ और सिनेमाटोग्राफ ‘ अधिनियम 2024’ के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर आवेदन पर कार्रवाई करने में पूरी तरह विफल रहा है। निर्माता ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र की सीबीएफसी की गलत, असंगत और निराधार मांग पर भी सवाल उठाया और कहा कि कानून में ऐसी कोई आवश्यकता नहीं है।
याचिका में कहां गया की फिल्म निर्माता ने मुख्य फिल्म के प्रमाणन के लिए पहली बार 5 जून 2025 को आवेदन किया था। सीबीएफसी को 7 दिनों में आवेदन की जांच करनी होती है और 15 दिनों के भीतर फिल्म को स्क्रीनिंग के लिए भेजना होता है।
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