(चंडीगढ़) पंजाब में अब धार्मिक ग्रंथो श्री गुरु ग्रंथ साहिब, गुटका साहिब, रामायण, भागवत गीता, बाइबल, कुरान शरीफ आदि की बेअदबी की तो 10 वर्ष से लेकर उम्र तक की सजा हो सकती है।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सोमवार को कैबिनेट में पारित होने के बाद पंजाब पवित्र ग्रंथों के विरुद्ध अपराध रोकथाम विधेयक-2025 विधानसभा में पेश किया। इस मामले पर मंगलवार को बहस होगी। भगवंत मान ने पिछले सप्ताह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि सरकार इस विधेयक को सलाहकार समिति को सौंपेगी और सभी धर्म व संस्थाओं से चर्चा करके इसमें सजा का प्रावधान का आग्रह करेगी। लेकिन सरकार के तेवर से ऐसा लगता है कि इसे जल्द पारित कर सकती है।
व्यक्ति को 10 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा : विधेयक में बेअदबी का दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 10 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा 5 से 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। बेअदबी की कोशिश करने वालों को 3 से 5 वर्ष की कैद का सामना करना पड़ सकता है। जबकि अपराध के लिए उकसाने वालों को अपराध की गंभीरता के अनुसार सजा मिलेगी। बेअदबी के मामले सत्र न्यायालय में ही सुने जाएंगे। जिसमें ट्रायल कोर्ट में सुनवाई नहीं होगी। मामले की जांच डीएसपी से नीचे रैंक के अधिकारी नहीं करेंगे। सरकार का मानना है कि इस कदम से जघन्य अपराध के दोषियों के लिए कठोर सजा सुनिश्चित करके समाज और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को रोकने में मदद मिलेगी।
कानून को सख्त बनाया जा रहा है : कानून को सख्त बनाने का कारण यह है कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को ‘जीवंत गुरु’ माना जाता है, कि बेअदबी अक्सर सामाजिक सौहार्द खराब कर देती है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाशन केवल शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) द्वारा किया जाता है। इसके अलावा श्री गुरु ग्रंथ साहिब को लाने व ले जाने की भी एक मर्यादा है। दूसरी ओर अन्य धार्मिक ग्रंथो के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है, जिससे पंजाब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब को बेअदबी होने पर माहौल बिगड़ जाता है। 2015 में हुई बेअदबी की घटनाओं से लोगों में शिरोमणि अकाली दल के प्रति नाराजगी बनी हुई है।
बिल में भारतीय न्याय संहिता से अलग प्रावधान : इस विधेयक में भारतीय न्याय संहिता से अलग प्रावधान किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कांग्रेस सरकार ने 28 अगस्त 2018 को बेअदबी बिल पारित किया था। जिसे केंद्र सरकार ने लौटते हुए कहा था कि अब भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता लागू कर दी गई है। और उसमें जिन सजाओं का प्रावधान किया गया है, उनके आलोक में सरकार अपना एक्ट बना ले।
सरकार इस विधेयक को सलाहकार समिति को सौंपेगी और सभी धर्म में संस्थाओं से चर्चा कर इसमें सजा का प्रावधान करने का आग्रह करेगी। इस पर बहस मंगलवार को होगी।
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