प्रदूषण के नाम पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) पुराने वाहनों पर तो फोकस कर रहा है, लेकिन इसके अन्य कारकों पर ध्यान नहीं दे रहा। प्रदूषण के अन्य कारकों में वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड के रूप में अदृश्य रसायन भी एनसीआर सहित हर शहर की हवा में जहर घोल रहा है।
यह वीओसी हवाओं में घूमने वाले तत्व होने के साथ वायु में रासायनिक तत्वों के साथ क्रिया करके खतरनाक जहरीली गैसों बनता है। यह गैसें न सिर्फ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचती है। इसके बावजूद न इनकी निगरानी और न ही उनकी रोकथाम की कोई व्यवस्था की जा रही है।
इंडियन जर्नल ऑफ़ एयर पॉल्यूशन कंट्रोल में प्रकाशित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के पूर्व अपर निदेशक डॉ. एस के त्यागी के पेपर में इनकी पूरी सच्चाई बयान की गई है। डॉ. त्यागी ने वीओसी की निगरानी विधियां तैयार करने में भी योगदान दिया है। जिन्हें हाल ही में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) द्वारा राष्ट्रीय विधियों के रूप में अनुसूचित किया गया है।
कैसे उत्पन्न होती है वीओसी: वीओसी रासायनिक तत्वों के मिश्रण से उत्पन्न कार्बन पदार्थ होता है। यह मुख्य रूप से पेट्रोल पंप, ऑयल रिफायनरी, पेट्रोकेमिकल फॉर्म, पेस्टिसाइड्स, पेंट , कोक आबन, डाई उपकरण और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में पैदा होता है और कुछ ही देर में हवा में घुल जाता है। इन रासायनिक पदार्थों से जहरीली गैसें उत्पन्न होती है।
पेट्रोल पंप लिए बिना है पेपर रिकवरी सिस्टम: पेट्रोल पंप वीओसी के तहत बैंजीन का मुख्य स्रोत है। इसे 80% तब काम करने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने पेट्रोल पंप पर स्टेज एक और दो के वेपर रिकवरी सिस्टम लगाने का नियम बनाया है।
इस नियम का पालन नहीं करने पर सीपीसीबी में कई वर्ष पहले तीन प्रमुख पेट्रोलियम कंपनियों हिंदुस्तान पैट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन पर एक-एक करोड. रुपए का जुर्माना भी लगाया था, लेकिन तब भी इस दिशा में कोई काम नहीं हो पा रहा है।
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