(पटना) बिहार में अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। शनिवार से रविवार दोपहर तक करीब 24 घंटे के अंदर चार अलग-अलग जगहों पर भाजपा नेता, वरिष्ठ वकील, शिक्षक और ग्राम स्वास्थ्य अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह वारदात न केवल जनता में दहशत फैला रही है, बल्कि सरकार की प्रशासनिक विफलता को भी उजागर कर रही है।
इसी बीच उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने विपक्ष की कानून व्यवस्था की आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि बिहार में कोई संगठित अपराध नहीं है। सभी हत्या व्यक्तिगत विवाद में हुई है।
राजधानी पटना के सुल्तानगंज थाना क्षेत्र में रविवार दोपहर अज्ञात बदमाशों ने वरिष्ठ वकील जितेंद्र कुमार महतो (58 वर्ष) को सरेआम 3 गोलियां मार दी। अस्पताल में पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई। इस सनसनीखेज वारदातों ने पूरे इलाके में हड़कंप मच रखा है। इससे पहले शनिवार रात पटना के पुनपुन इलाके में भाजपा नेता सुरेंद्र केवट (52) वर्ष की बाइक सवार बदमाशों ने हत्या कर दी थी। वह अपने गांव शेखपुरा लौट रहे थे तभी उन पर अंधाधुंध फायरिंग हुई। गंभीर रुप से घायल सुरेंद्र को पटना एम्स ले जाया गया। जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। इसी तरह सारण जिले के दरियापुर थाना क्षेत्र में शिक्षक संतोष राय (46 वर्ष) को बाइक सवार अपराधियों ने घर के पास गोली मार दी। मौके पर ही उनकी मौत हो गई जबकि कार चालक कांग्रेस राय गंभीर रुप से घायल है, और अस्पताल में जिंदगी से जूझ रहे हैं। वही पटना के पिपरा इलाके में शनिवार शाम को ही खेत में काम करने के दौरान ग्रामीण स्वास्थ्य अधिकारी सुरेंद्र कुमार (50 वर्ष) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह वारदात पिपरा इलाके के शेखपरा गांव की है। सुरेंद्र कुमार अपने खेत में काम कर रहे थे और इसी दौरान उन्हें गोली मारी गई।
एनडीए सरकार में क्या कोई वाला है: इन वारदात पर प्रतिक्रिया देते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा-पटना में सरेआम हत्याएं हो रही हैं। भाजपा नेता की भी गोली मारी गई। क्या कहें और किससे कहें। क्या एनडीए सरकार में कोई सच सुनने या अपनी गलती मानने को तैयार है? सीएम के स्वास्थ्य के बारे में तो सब को पता है। लेकिन भाजपा के दो नकारे उपमुख्यमंत्री क्या कर रहे हैं? भ्रष्ट भूंजा-डीके पार्टी की तरफ से कोई ब्यान नहीं आया।
बिहार की कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष की बढ़ती आलोचना के बीच उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने रविवार को दावा किया कि राज्य में कोई संगठित अपराध नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि व्यक्तिगत विवादों से होने वाली हत्याओं को रोकना सरकार के लिए थोड़ा मुश्किल है।
क्या बिहार 90 के दशक में लोट रहा है: इन चारों घटना ने राज्य सरकार के सुरक्षा दावों की पोल खोल दी है। आम जनता से लेकर पेशेवर और राजनीतिक वर्ग तक खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। विपक्षी दलों ने इन हत्याओं को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफे की मांग की है। आरजेडी और कांग्रेस ने बिहार को ‘अपराधियों की शरणस्थली’ करार दिया है। बेखौफ अपराधियों का इस तरह खुलेआम गोली चलाना और फरार हो जाना राज्य की लाचार कानून अवस्था की तस्वीर पेश करता है। अब सवाल यह है कि क्या बिहार फिर से 90 के दशक की और लोट रहा है, जब अपराध और जंगलराज आम बात थी।
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