देश में सेमीकंडक्टर बनाने के सरकार के प्रयास से 20 अरब डालर तक होगी बचत

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देश में सेमीकंडक्टर बनाने और इससे जुड़े घरेलू उद्योग के विकास के लिए आयात होने वाली चिप पर भारत की निर्भरता में कमी आएगी। इसके परिणाम स्वरुप देश को 10 से 20 अरब डॉलर की बचत होगी।

प्रमुख कंसल्टेंसी फ़र्भ मैकेंजी ने एक रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक सेमीकंडक्टर मूल्य श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थापित करने के लिए भारत के लिए दोहरी दृष्टिकोण अपनाना होगा। इसके लिए भारत सरकार को लक्षित सरकारी प्रोत्साहनों को वैश्विक प्रौद्योगिकी दिग्गजों के साथ रणनीतिक साझेदारी के साथ जोड़ना होगा ।

रिपोर्ट में कहा गया कि आज भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग मुख्य रूप से डिजाइन केंद्रित है। वैश्विक सेमीकंडक्टर डिजाइन श्रमबल का करीब 20% हिस्सा और प्रमुख कंपनियां के अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) केंद्रों का हब भारत में ही है। ऐसे में देश लक्षण सरकारी प्रोत्साहनों, श्रम बलों और विदेशी प्रौद्योगिकी दिग्गजों की साझेदारी का लाभ उठाकर न सिर्फ घरेलू चिप उद्योग का विस्तार कर सकता है बल्कि वैश्विक श्रृंखला में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है।

विशाल प्रतिभा व स्टार्टअप तंत्र से मिल रहा समर्थन: रिपोर्ट में कहां, सेमीकंडक्टर डिजाइन में भारत मजबूती से आगे बढ़ रहा है। इसे विशाल प्रतिभा पुल और बढ़ते स्टार्टअप तंत्र का समर्थन मिल रहा है, जो देश को दुनिया के शीर्ष तीन डिजाइन केंद्रों में से एक बनता है। हालांकि बड़े पैमाने पर सेमीकंडक्टर बनाने के लिए भारत को सशस्त प्रक्रिया अपनानी होगी और कुछ आवश्यक बदलाव भी करने होंगे।

रिपोर्ट में कहा गया कि भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग 2030 तक 14 नैनोमीटर से ऊपर के नोइस पर निर्माण कार्य पूरा करने के लिए प्रयासरत हैं। 10 नैनोमीटर से काम की तकनीक की और बढ़ाने में संभवत अधिक समय लगेगा।

चिप निर्माण की राह में कुछ चुनौतियां: रिपोर्ट में सेमीकंडक्टर उद्योग के विस्तार को लेकर कुछ आवश्यक चुनौतियों का भी जिक्र किया गया है। इन चुनौतियों में अधिक पूंजी की जरूरत,  उन्नत निर्माण तकनीक की कमी और घरेलू आपूर्ति श्रृंखला में कमियां शामिल है। घरेलू आपूर्ति श्रृंखला की कमी को दूर करने के लिए उच्च शुद्धता वाली गैसों,वशिष्ठ रसायन और अति शुद्ध जल के मोर्चे पर काम करना होगा।

15 लाख कुशल श्रमबल की जरूरत: हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत को 2026 से 2027 तक मूल्य श्रृंखला में करीब 15 लाख कुशल और 15 लाख अर्धकुशल श्रम बल की जरूरत होगी।

 100अरब डॉलर के पास पहुंचेगा भारतीय सेमीकंडक्टर उद्योग: रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय सेमीकंडक्टर उद्योग का 2032  में 100.2 अरब डॉलर के पास पहुंच जाएगा। 2023 में देश का सेमीकंडक्टर उद्योग 3 4.3 अरब डालर था। पिछले साल 3 अरब डॉलर से लेकर 11  अरब डॉलर तक की कई बड़ी परियोजनाओं की घोषणा की गई है।

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