विशेष श्रेणी का पहला गोताखोरी सहायता पोत (डीएसवी) निस्तार अगले सप्ताह 18 जुलाई 2025 को नौसेना के जंगी बेड़े में आधिकारिक रूप से शामिल किया जाएगा। इस दौरान विशाखापट्टनम स्थित नौसैन्य डॉकयार्ड में आयोजित किए जाने वाले एक महत्वपूर्ण समारोह में खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विशेष तौर पर मौजूद रहेंगे। युद्धपोत को हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल) ने स्वदेश में ही डिजाइन के साथ विकसित किया है।
बीते दिनों एचएसएल ने निस्तार को नौसेना को सौप था। रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी जिसमें बताया कि एक बार युद्धपोत के नौसेना में शामिल हो जाने के बाद, हमें इस गहरे समुद्र में गोताखोरी और पनडुब्बी बचाव कार्यों में सहायता प्रदान करने के लिए पूर्वी नौसैन्य कमांड में तैनात किया जाएगा।
युद्धपोत निर्माण में 120 एचएसएल लगी: मंत्रालय ने बताया कि निस्तार केंद्र सरकार के उसे दृढ़ विश्वास का प्रमाण है,जिसके जरिए रक्षा उत्पादन में स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। चूंकि यह युद्धपोत देश के अंदर निर्मित है और इसके निर्माण में कुल 120 सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यमों ने भाग लिया है। इसमें लगाई गई 80 फ़ीसदी से अधिक सामग्री स्वदेशी है। परियोजना को रक्षा मंत्रालय ने जटिल स्वदेशी जहाजों के डिजाइन और निर्माण के नौसेना के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में परिभाषित किया है। अपने पूर्व अवतार में निस्तार एक पनडुब्बी बचाव पोत था। जिसे भारतीय नौसेना ने वर्ष 1969 में तत्कालीन सोवियत संघ (यूएसएसआर) से प्राप्त किया था। इसके 3 साल बाद 1971 में इसे बल में कमीशन किया गया था। दो दोस्तों तक निस्तार ने नौसेना के गोताखोरी वह पनडुब्बी बचाव कार्यों में अहम योगदान दिया। अब निस्तार के एक नए अवतार के साथ अपनी देश सेवा की पुरानी विरासत को आगे बढ़ाएगी। जिसका आदर्श वाक्य सुरक्षित यथार्थ शौर्यम है। इसका अर्थ सटीकता और बहादुरी के साथ बचाव है।
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