आयात निर्यात धोखाधड़ी मामले में वांछित आर्थिक अपराधी मोनिका कपूर का सीबीआई ने बुधवार को अमेरिका से सफलतापूर्वक प्रत्यपर्ण करवा लिया है।
वह 25 वर्ष से ज्यादा समय से फरार चल रही थी। उसके विरुद्ध इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस था। सीबीआई की एक टीम ने उसे अमेरिका में हिरासत में ले लिया और वह अमेरिका एयरलाइन की उड़ान एए-292 से उसे लेकर भारत आ रही है।
पिछले दिनों नेहाल मोदी (पंजाब नेशनल बैंक के 13.5 हजार करोड. रुपए के घोटाले के आरोपित) की गिरफ्तारी के बाद अमेरिकी अधिकारियों के साथ निरंतर सहयोग से सीबीआई को हाल के दिनों में यह दूसरी सफलता है। सीबीआई प्रवक्ता ने कहा यह प्रत्यपर्ण न्याय की दिशा में एक बड़ी सफलता है और अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से परे भगोड़ों को भारती कानून के कटघरे में लाने की सीबीआई की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। मोनिका को संबंधित अदालत में पेश किया जाएगा और अब वह मुकदमे का सामना करेगी। सीबीआई ने हाल के वर्षों में पारस्परिक कानूनी सहायता या इंटरपोल के साथ समन्वय के जरिए 100 से अधिक भगोड़ों की वापसी सुनिश्चित की है।
1998 में कथित तौर पर निर्यात दस्तावेजों की थी जालसाजी: सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि मोनिका ओवरसीज की मालकिन मोनिका कपूर ने अपने भाई राजन खन्ना और राजीव खन्ना के साथ मिलकर 1998 में कथित तौर पर निर्यात दस्तावेजों (शिपिंग,बिल,चालान और निर्यात एवं प्राप्ति के बैंक प्रमाण पत्रों) में जालसाजी की थी। उसके दोनों भाइयों के साथ मिलकर आभूषण निर्माण और निर्यात के लिए शुल्क मुक्त सामग्री के आयात हेतु 6 पुन:पूर्ति लाइसेंस प्राप्त करने के लिए जाली दस्तावेज बनाए थे। बाद में यह लाइसेंस अहमदाबाद स्थित दीप एक्सपोर्टर्स को प्रीमियम पर बेच दिए थे। दीप एक्सपोर्टर्स ने उक्त लाइसेंस का इस्तेमाल करके टेक्स रहित सोना आयात किया जिससे सरकारी खजाने को 1.44 करोड. रुपए का नुकसान हुआ।
31 मार्च 2004 को दायर किया गया था आरोप-पत्र : कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और जलसा जी के लिए 31 मार्च 2004 को मोनिका और उसके भाइयों के विरुद्ध आरोप-पत्र दायर किया गया था। नई दिल्ली में साकेत स्थित जिला न्यायालय में मुख्य महानगर दंडाधिकारी ने 2017 में राजन खन्ना और राजीव खन्ना को दोषी तेरा ठहराया था। मोनिका कपूर जांच और मुकदमे में शामिल नहीं हुई और 13 फरवरी 2006 को अदालत ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया। भारत में धोखाधड़ी करने के बाद वह 1999 में अमेरिका में चली गई थी और वीजा अवधि से ज्यादा समय तक वहां रही। दिल्ली की एक विशेष अदालत ने 2010 में मोनिका के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। भारत ने उसी वर्ष अक्टूबर में उसे प्रत्यार्पण की मांग की थी। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय प्रत्यार्पण संधि के तहत 2012 में न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के जिला न्यायालय ने मोनिका के प्रत्यपर्ण को मंजूरी दे दी थी। उसने अमेरिकी विदेश मंत्री से अपील की थी, कि अगर उसे प्रत्यार्पित किया गया, तो भारत में उसे यातना का सामना करना पड़ेगा। उसने अमेरिका में विभिन्न आधारों पर कई कानूनी विकल्पों का भी इस्तेमाल किया। अमेरिकी अदालत और प्रशासनिक मंचों में कई चुनौतियां सहित कई वर्षों की कानूनी कार्रवाई के बाद अमेरिका की अभी अपीलीय अदालत ने अंतत: मार्च 2025 में उसके प्रत्यपर्ण को बरकरार रखा।
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