हरियाणा सरकार केंद्र की तर्ज पर यूपीएस ही लागू करेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत विपक्ष के नेताओं और पुरानी पेंशन बहाली संघर्ष समिति के विरोध के बावजूद सरकार अपने फैसला पर आड़ी है। सरकार ने यूपीएस पेंशन योजना लागू करने का फैसला जारी कर दिया है। हरियाणा में विभिन्न सरकारी विभागों में तैनात कर्मचारी अब केंद्र सरकार के कर्मचारियों की तरह पहली अगस्त से यूपीएस पेंशन योजना का विकल्प चुन सकेंगे। यह उनकी अपनी मर्जी होगी कि वह राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) चुनते हैं या फिर यूपीएस।
बोर्ड निगमों, सार्वजनिक उपक्रमों और विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों को अभी करना होगा इंतजार :
हालांकि बोर्ड निगमों, सार्वजनिक उपक्रमों और विश्वविद्यालयों के कर्मचारी कर्मचारियों को अभी यूपीएस का इंतजार करना होगा।
वित्तीय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने यूपीएस को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। इससे सभी सरकारी कर्मचारियों को सुनिश्चित पेंशन, पारिवारिक पेंशन और सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन मिलन तय हो सकेगा। 25 साल की सेवा पूरी कर चुके कर्मचारी को यूपीएस के तहत सेवानिवृत्ति से पहले 12 महीनों के दौरान प्राप्त औसत मूल्य वेतन की 50% राशि पेंशन में मिलेगी। यदि कर्मचारी 10 या इससे अधिक वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद रिटायर होता है तो उसे प्रतिमा 10000 का न्यूनतम राशि भुगतान निश्चित किया जाएगा। यदि पेंशन धारक की मृत्यु हो जाती है तो परिवार को अंतिम आहरित पेंशन राशि का 60% प्राप्त होगा। यह महंगाई भत्ता निश्चित पेंशन भुगतान और पारिवारिक पेंशन दोनों पर लागू होगा। इसकी गणना सेवारत कर्मचारियों पर लागू महंगाई भत्ते के समान ही की जाएगी।
नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारी 10% अंशदान करते हैं तो राज्य सरकार 14 प्रतिशत योगदान करती है लेकिन यूपीएस के तहत सरकार का योगदान 18.5% हो जाएगा।
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