भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने हाल ही में डायबिटीज से जुड़ी एक नई खोज की है। उन्होंने शरीर में सबसे ज्यादा पाए जाने वाले प्रोटीन (कॉलेजन) में एक खास तरह के बदलाव की पहचान की है जो शरीर में डायबिटीज को बढ़ावा दे सकता है।
जर्नल ऑफ़ द अमेरिकन केमिकल सोसायटी में प्रकाशित रिसर्च में पता चला है कि कॉलेजन पैक्रियस यानी अग्नाशय में हॉरमोंस को तेजी से जमा करता है। जिससे वह ठीक से काम नहीं कर पाता और डायबिटीज बढ़ाने का खतरा बना रहता है। टाइप 2 डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो दुनिया भर में 500 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रभावित करती है। हमारे शरीर में इंसुलिन नाम का एक हार्मोन होता है जो खून में शुगर का स्तर सही बनाए रखने में मदद करता है। टाइप 2 डायबिटीज में या तो इंसुलिन ठीक से काम नहीं कर पाता या फिर हमारे शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन को सही से महसूस नहीं कर पाती। ऐसे में शरीर का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।
जब हमारे शरीर में ब्लड शुगर ज्यादा होता है तो शरीर और ज्यादा इंसुलिन बनाने की कोशिश करता है ताकि शुगर को कंट्रोल कर सके। लेकिन इसी के साथ शरीर एक और हार्मोन बनता है जिसका नाम है एमिलीन।
वैज्ञानिकों की टीम ने पाया कि हमारे शरीर में एक प्रोटीन होता है जिसका नाम है फाइबरिलर कॉलेजन। यह प्रोटीन हमारे शरीर की कोशिकाओं के बाहर होता है। आईआईटी बॉम्बे के बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर शमिक सेन के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने बताया कि जब एमिलीन हार्मोन सही तरीके से नहीं बन पाए, तो एक दूसरे से चिपक कर गुच्छे बन जाते हैं, जो हमारे शरीर की कोशिकाओं के लिए खतरनाक है।
डायबिटीज में हमारे पैक्रियास की जो टिशु होती है, उसमें कॉलेजन-1 नाम का प्रोटीन बहुत ज्यादा बढ़ जाता है,जो बीमारी को और बिगाड़ सकता है।जब एमिलीन हार्मोन जमा होकर बीटा-कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है तो शरीर की इंसुलिन बनाने की ताकत कम हो जाती है जिससे ब्लड शुगर बढ़ता है और डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है।
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