जब दिमाग थक जाए कुछ करने का मन ना हो और लगे कि अब कुछ नहीं हो पाएगा, तो क्या करें? ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी अस्पताल की न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. फे बेगेटी इससे बचने के लिए एक रोचक फार्मूला अपनाती है। वह इस 5 मिनट रूल कहती है। जानते हैं इसके बारे में…..
डॉ. फे बेगेटी अस्पताल में न्यूरोलॉजी के जटिल मरीजों को देखती है। फिर घर लौट कर अपनी निजी जिंदगी में व्यस्त हो जाती है। उनका कहना है कि जब वह थककर चूर हो जाती है और लगता है कि अब कुछ नहीं कर पाऊंगी तब वे ‘ 5 मिनट रूल ‘ को अपना आती है। वह कहती हैं, थका हुआ दिमाग बड़े कामों को करता है और आपको ऐसे कामों की ओर ले जाता है जो आसान और तुरंत सुकून देने वाले हो। जैसे नेटफ्लिक्स पर बिंज वाचिंग करना हो या सोशल मीडिया स्क्रोलिंग। ऐसी स्थिति में 5 मिनट रूल फायदेमंद होता है।
क्या है 5 मिनट रूल? : जब आपको एक्सरसाइज करनी हो या कोई जरूरी टास्क पूरा करना हो, तो बस खुद से कहें मैं सिर्फ 5 मिनट करूंगा, ‘ फिर रुक जाऊंगा’ । ज्यादातर बार हम शारीरिक रूप से थके नहीं होते बल्कि दिमाग से थके होते हैं। मतलब है कि हमारा दिमाग ही किसी काम की शुरुआत करने में सबसे ज्यादा हिचकिचाता है।
छोटी स्टार्ट बड़ा असर : डॉ. फे बेगेटी बताती है कि 5 मिनट रूल से उन्होंने 100 से ज्यादा वर्कआउट किए है और कई किताबें भी लिखी है। 5 मिनट रोज का मतलब है साल भर में 30 घंटे से भी ज्यादा की एक्टिविटी करना। यानी छोटी स्टार्ट, बड़ा असर। दिमाग में जब कोई काम बार-बार होते हैं तो वह हैबिट बन जाता है, जिसमें ज्यादा सोचना नहीं पड़ता। जो लोग सालों से एक्सरसाइज या लेखन जैसा काम कर रहे हैं उनके लिए यह आदत अच्छी है।
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