हमारे हाथों की पकड़ यानी ग्रिप सिर्फ चीजों को पकड़ने के लिए नहीं होती बल्कि यह हमारी सेहत का आईना भी होती है। एक रिसर्च में सामने आया है की कमजोर ग्रिप हार्ट अटैक, स्ट्रोक, मोटापा और मांसपेशियों की कमजोरी जैसी गंभीर समस्याओं से जुड़ी हो सकती है। द लैंसेट द्वारा 17 देश में 1.4 लाख लोगों पर की गई स्टडी में पाया कि जिन लोगों की ग्रिप कमजोर थी उनमें हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा ज्यादा था। साथी यह ऑस्टियोपोरोसिस, मोटापा और याददाश्त कमजोर होने जैसी समस्याओं से भी जुड़ी है।
ग्रिप टेस्ट से पता चलता है कि शरीर की कुल ताकत, मांसपेशियों और नसों का तालमेल और दिल की क्षमता कैसी है। दिल्ली के जनरल फिजिशियन डॉक्टर रमेश सिंह के मुताबिक 50 की उम्र पार कर चुके कई मरीजों की ग्रिप कमजोर होती है। ऐसे लोग जल्दी थकते हैं, छोटी बीमारियों से उभरने में वक्त लेते हैं और शरीर में फैट ज्यादा होता है। वहीं दूसरी ओर जिनकी ग्रिप मजबूत होती है उनकी फिटनेस बेहतर होती है और वह जल्दी रिकवर करते हैं। 50 की उम्र के बाद मांसपेशियां और नसों की ताकत धीरे-धीरे कम होने लगती है। लेकिन एक्टिव रहने और हाथों से जुड़े काम करते रहने से इस प्रक्रिया को धीमा किया जा सकता है।
टेनिस बॉल को कसकर दबाए : टेनिस बॉल को कसकर दबाए और देखें की कितनी देर तक पड़ सकते हैं। टाइट ढक्कन वाली बोतल खोलना, कपड़े निचोड़ना या केतली उठाना मुश्किल लगता है तो यह कमजोर ग्रिप का संकेत हो सकता है। डेड हैंग यानी किसी पोल पर लटकाने की कोशिश करना। अगर 30 सेकंड तक भी नहीं टिक पा रहे तो ग्रिप पर काम करने की जरूरत है।
ग्रिप सिर्फ एक नहीं होती बल्कि कई तरह की होती है जैसे क्रश ग्रिप (हाथ मिलाना या डंबल पकड़ना) पिंच ग्रिप (चाबी घूमना या प्लेट उठाना) स्पोर्ट ग्रिप (शॉपिंग बैग उठाना)।
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