गुप्त नवरात्रों के साथ मंगल केतु ग्रह दोनों सिंह राशि में एक साथ प्रवेश कर रहे हैं प्राकृतिक आपदाओं के संकेत मिल रहे हैं।
26 जून को आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रों की शुरुआत हो रही है। गुप्त नवरात्रों के दौरान नवरात्रों पर माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
यह गुप्त नवरात्रों साधक, साधु, संत, आध्यात्मिक दीक्षा प्राप्त करने वालों के लिए शुभ होते हैं। गुप्त नवरात्रों के दौरान महाविद्या तंत्र साधना के लिए आराधना की जाती है। इस वर्ष गुप्त नवरात्रों गुरुवार से पुनर्वसु नक्षत्र में शुरू हो रहे हैं। मंगल केतु ग्रह दोनों एक साथ सिंह राशि में प्रवेश कर रहे हैं इससे आपदाओं के संकेत मिल रहे है। मां का पालकी से सवार होकर आना भी अशुभ माना जाता है। इसके फल स्वरुप प्राकृतिक आपदाएं काफी ज्यादा होने की संभावना रहती है। जैसे बाढ़ आना अधिक बारिश होना दुर्घटना होना या अन्य आपदाएं। इसलिए देवी भवन मंदिर में 51 ज्योति जलाई जाएगी। इसके लिए मंदिर की ओर से तैयारी की जा रही है। मंदिर के पुजारी का कहना हैं कि मंदिर में सबसे पहले जल अभिषेक कार्यक्रम होगा उसके बाद माता काली की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त : गुप्त नवरात्रों में साधक ही कलश स्थापना कर सकते हैं। गुप्त नवरात्रों के दौरान अन्य श्रद्धालु कलश स्थापना नहीं कर सकते हैं। स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 7:30 बजे से 9:00 बजे तक है। इस मुहूर्त में कलश स्थापना करने से साधकों की साधना पूरी होगी। पंचांग के अनुसार 25 जून से गुप्त नवरात्रे शाम 4.30 बजे से शुरू हो जाएंगे। लेकिन सूर्योदय यानी उदयातिथि के अनुसार 26 जून को ही गुप्त नवरात्रों का शुभारंभ माना जाएगा।
आम जन करें इस मंत्र का जाप : माता का निर्वाण मंत्र ॐ ऐ क्लीं चामुण्डायै विचे हैं। यह देवी का एक शक्तिशाली मंत्र है जो 9 अक्षरों से बना है और हर अक्षर का देवी के नौ रूपों से संबंध है। मंत्र का जाप करने से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। तांत्रिको को तंत्र साधना करने के लिए गुप्त नवरात्रों का इंतजार रहता है। इस दौरान लोग लंबी साधना करके दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। गुप्त नवरात्रों के दौरान कई साधक महाविद्या के लिए मां काली, भैरव ,मां बगलामुखी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
साधकों की साधना पूरी होती है : पंडितों के अनुसार चंद्रमा पुनर्वसु क्षेत्र में गति करता है इसलिए गुप्त नवरात्रे आते हैं। पुनर्वसु नक्षत्र आने से ही साधकों की साधना पूरी होती है। मंदिर के पुजारी का कहना है कि आम लोगों को इन चीजों से बचना चाहिए। उनका कहना है की माता इस बार पालकी में सवार होकर आएगी। जिसके फल स्वरुप प्राकृतिक आपदाएं अधिक आती हैं। इसमें लड़ाई झगड़ा ना करे लंबी यात्रा पर न जाए ज्यादा बारिश होने वाले क्षेत्र में यात्रा न करें कोशिश करें कि घर से बाहर यात्रा पर न जाए।
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