ऑस्ट्रेलिया की एक कंपनी ने दुनिया का पहला बायोलॉजिकल कंप्यूटर बनाया है। जो की ब्रेन सेल्स का इस्तेमाल करके तैयार किया गया है। जिसकी कीमत का अनुमान 30 लाख रुपए लगाया जा रहा है।
ऑस्ट्रेलिया की टेक स्टार्ट अप कार्टिकल लैब ने इंसानी ब्रेन सेल से चलने वाला दुनिया का पहला कंप्यूटर बनाया है। जिसका नाम सीएल-1 रखा गया है। इसकी कीमत का अनुमान 30 लाख रुपए लगाया जा रहा हैं। यह कंप्यूटर 2025 तक बाजार में उपलब्ध हो सकता है। यह कंप्यूटर मेडिकल और साइंटिफिक रिसर्च के लिए तैयार किया गया है।
इंसानी ब्रेन सेल और सिलिकॉन का इस्तेमाल किया : सीएल –1 कंप्यूटर को बनाने में इंसानी ब्रेन सेल्स और सिलिकॉन हार्डवेयर का इस्तेमाल किया गया है। इसको मुख्य रूप से न्यूरोलॉजिकल साइकोलॉजिकल में जटिल बीमारियों की दवाइयां और इलाज की टेस्टिंग की सहायता के लिए तैयार किया गया है। 2022 में भी इस कंपनी ने डिशब्रेन नाम का एक सिस्टम तैयार किया था जिसने पोंग नाम का वीडियो गेम के लिए खूब सुर्खियां बटोरी।
जानवरों पर की जाने वाली टेस्टिंग पर लगेगी रोक : अनुमान लगाया जा रहा है कि सीएल –1 की मदद से जानवरों पर की जाने वाली टेस्टिंग को रोका जा सकता है। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बेहतर होगा और नैतिक रूप से भी।
एआई से अलग है सीएल -1 : कार्टिकल लैब की टीम का कहना है कि सीएल-1 तकनीक का इस्तेमाल करके बनाया गया है उसे सिंथेटिक बायोलॉजिकल इंटेलिजेंस (एसबीआई ) कहा जाता है। जो कि एआई से बिल्कुल अलग है क्योंकि इसमें इंसानी ब्रेन से मिलते जुलते बायोलॉजिकल पदार्थ का इस्तेमाल हुआ है
लेकिन सीएल – 1 बायोलॉजिकल कंप्यूटर को लेकर यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या इसमें आगे चलकर किसी तरह की चेतना विकसित हो सकती है? टीम का कहना है कि फिलहाल इसमें ऐसी कोई संकेत नहीं मिले और टीम लगातार इस पर नजर बनाए हुए हैं। स्टेम सेल रिसर्च से जुड़े एक्सपर्ट का मानना है कि अभी यह सिस्टम सक्रिय करने पर रिएक्ट करता है
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