नीट परीक्षा आखिर छात्रों के लिए क्यों बनती है फांसी का फंदा

vardaannews.com

नीट परीक्षा 4 मई 2024 को आयोजित की गई थी । मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इसके नतीजे पर रोक लगा दी है । लेकिन हर वर्ष यह परीक्षा विद्यार्थियों के लिए फांसी का फंदा क्यों बन जाती है ।

नीट एग्जाम से पहले राजस्थान के कोटा में नीट की तैयारी कर रही एक 17 साल की छात्रा ने आत्महत्या कर ली है । यह घटना शहर के कुनहाड़ी थाना के पार्श्वनाथपुरम इलाके में हुई । छात्र ने एग्जाम से 2 दिन पहले 2 मई को ही अपने घर के कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी । छात्रा के पिता सुरेश राजपूत ने बताया कि उनकी बेटी ने अपने कमरे में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी । कोटा राजस्थान में बसी वह शिक्षा नगरी है जहां बच्चे अपने सपनों को उड़ान देने के लिए जाते हैं । छात्रों को सिर्फ अपनी मंजिल प्राप्त करने की धुन सवार रहती है । समझ नहीं आता कि आखिर क्या है इस नगरी में जहां जाने के बाद कुछ छात्र सुसाइड करना चुन लेते हैं । समझ नहीं आता कि जिस सपने को पूरा करने के लिए वह अपनों से दूर जाते हैं और अपनों को हमेशा के लिए ही क्यों छोड़ जाते हैं ।

जनवरी 2025 से लेकर अब तक इस वर्ष में 27 छात्र खुदकुशी कर चुके हैं । कोटा में बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश से छात्र भी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं । फांसी लगाने वाली छात्रा कोटा में डेढ़ साल से रहकर नीट परीक्षा की तैयारी कर रही थी । छात्र के पिता ने उसके खुदकुशी करने के बाद कोचिंग संस्थान पर कई आरोप लगाए थे । उन्होंने कहा कि कोचिंग संस्थान की तरफ से पढ़ाई का काफी दबाव था जिसकी वजह से उनकी बेटी ने सुसाइड कर ली । जबकि संस्थान की ओर से इन आरोपों को साफ नकारा गया है । परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थी हर रोज व्यस्त दिनचर्या, प्रतियोगिता और होम सिकनेस यह सभी फैक्टर अवसाद को बढ़ाते हैं और कमजोर क्षणों में बच्चों के लिए आत्मघाती बन जाते हैं। यह बातें नीट की तैयारी कर रही मध्य प्रदेश की छात्रा प्रगति गुप्ता ने कही थी । तीन छात्रों के आत्महत्या के बाद वहा ऐसा क्या है कि छात्र आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं । इसके जवाब में प्रगति गुप्ता ने कहा कि कोटा आने वाले बच्चे कहीं ना कहीं कठिन सफर के लिए मानसिक रूप से तैयार होते हैं लेकिन परीक्षा की तैयारी का समय लंबा होता है ऐसे में हमसे कहीं बार परिवार को छोड़कर पढ़ने के लिए दूर आते हैं । इसीलिए होम सिकनेस के साथ पढ़ाई का लगातार दबाव अक्सर हमारे लिए कमजोर पल का निर्माण करता है । 10 महीने की तैयारी का शेड्यूल इतना बिजी होता है कि ब्रेक के दौरान भी घर नहीं जा पाते । कई बार तो छुट्टियों में घर जाने पर पढ़ाई में पिछड़ जाने का डर रहता है । यदि आप एक दिन की क्लास मिस करते हैं तो आपकी पढ़ाई एक सप्ताह पीछे जा सकती है ।

यह एक चक्रव्यूह है। क्लास के बीच तालमेल बिठाने के चक्कर में छात्र फस जाते हैं और खुद को दोष देते हैं और तनाव में चले जाते हैं । जब एक विद्यार्थी चीजों के साथ तालमेल बैठाने के चक्कर में फेल हो जाता है और छुटे हुए लेक्चर का बैगलॉग बढ़ता जाता है । ऐसे में छात्र पढ़ाई के तरीके को दोष देता है और डिप्रेशन में चला जाता है । घरवालों का पढ़ाई में लगाया हुआ पैसा बेकार न चला जाए ऐसे में छात्र और ज्यादा तनाव में रहने लगता है । प्रशासन और कोचिंग संस्थान छात्रों पर बढ़ रहे मानसिक दबाव को कम करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं । हॉस्टलों में एंटी हैंगिंग डिवाइस लगाए गए हैं और छात्रों को सुरक्षा देने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी उपलब्ध कराया गया है। यदि आप या आपका कोई भी जानकार किसी भी प्रकार के तनाव से गुजर रहा है तो अधिकारिकता मंत्रालय के हेल्पलाइन नंबर 1800-599- 0019 या आसरा एनजीओ हेल्पलाइन नंबर 91-22-27546669 पर काल कर सकते है। इसके बावजूद भी बढ़ रही खुदकुशी की घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पाया है। निरंतर हो रही सुसाइड मामलों ने परिवारों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अपने बच्चों को कोटा भेजें या नहीं ।

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