परिवार के सदस्य में बार-बार झगड़ा होना या घर में तनावपूर्ण माहौल रहना यह सब वास्तु दोष के संकेत हो सकते हैं अक्सर हम इन छोटे-छोटे संकेत को नजर अंदाज करते रहते हैं किंतु धीरे-धीरे यह एक गंभीर समस्या बनती जाती है। घर में असमंजस या बेचैनी की भावना एक दूसरे पर संदेह करना यह सब वास्तु दोष के संकेत है अक्सर लोग वास्तु दोष को हल्के में लेते हैं या फिर वास्तु शास्त्र पर विश्वास नहीं करते हैं और इसे नजर अंदाज करते हैं किंतु धीरे-धीरे यह एक बड़ी समस्या बनती जाती है आए दिन घर के लोगों में आपसी झगड़े बढ़ते जाते हैं।
एक आम इंसान अपने जीवन की सारी कमाई अपना घर बनाने में लगा देता है यह सोचकर कि वह उसे घर में अपने परिवार के साथ सुख शांति से रहेगा । किंतु वास्तु शास्त्र का पालन न करने घर का माहौल खराब हो जाता है। इस घर में अब सुख शांति के वजह हर वक्त क्लेश रहता है। आईए जानते हैं कि यह वास्तु शास्त्र आखिर है क्या ?
वास्तु शास्त्र क्या है ?
वास्तु शास्त्र वास्तुकला और डिजाइन की एक प्राचीन भारतीय प्रणाली है जिसका उद्देश्य भवन तथा इमारत का निर्माण करने के लिए किया गया था । वास्तु शास्त्र की प्रणाली का प्रयोग करके भवन तथा इमारत के पांच तत्वों को संतुलित किया जाता है। जिस प्रकार मनुष्य शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है जैसे पृथ्वी, जल ,अग्नि ,वायु और आकाश । और एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में इन पांच तत्वों का संतुलित होना अधिक आवश्यक इसी प्रकार भवन का निर्माण करते समय भी इन पांच तत्वों का संतुलित होना अति आवश्यक होता है इन पंचतत्व के संतुलित होने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और घर में खुशी का माहौल तथा सुख शांति बनी रहती है। वास्तव शास्त्र में 32 पद होते हैं। जिनके आधार पर घर के मुख्य द्वार का चयन किया जाता है। वास्तु शास्त्र में मुख्ता चार दिशाएं होती है उत्तर दक्षिण पूरब और पश्चिम । इसके अलावा विदिशाएं भी होती है जैसे ईशान कोण,आग्नेय, वायु में कौन और नृत्य कौन कोण। वास्तु शास्त्र में हर दिशा का अपना महत्व है।
वास्तु शास्त्र के कुछ उपयोगी टिप्स :
घर के मुख्य द्वार के लिए पूर्व या उत्तर दिशा मैं होना उचित माना गया है।
किचन के लिए अग्नि कोण को उचित स्थान बताया गया है।
घर के मुखिया का बेडरूम दक्षिण दिशा में होना चाहिए
लिविंग रूम का उत्तर दिशा या पूर्व दिशा में होना उचित है।
मंदिर के लिए ईशान कोण को उचित स्थान माना गया है।
शौचालय के लिए वायु में कौन अधिक उचित स्थान होता है।
ब्रह्म स्थान भवन का केंद्र बिंदु होता है। यह सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है। इस केंद्रबिंदु पर कुछ भी निर्माण नहीं किया जाता है।
घर में खिड़की यो का उत्तर पूर्व दिशा में होना अधिक उचित माना गया है जिस घर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर सके।
निष्कर्ष :
यदि हम घर का निर्माण करते समय दिशाओं का ज्ञान ना रखें और गलत निर्माण करें तो घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है। जिसके कारण घर की सुख शांति भंग हो जाती है इसलिए घर की सुख शांति तथा परिवार की समृद्धि के लिए हमें वास्तु शास्त्र के अनुसार अपने घर का निर्माण करना चाहिए।